Kaal Bhairav photo |
नमस्कार दोस्तों! आज के इस लेख में हम काल भैरव अष्टकम (Kaal Bhairav Ashtakam Lyrics in Hindi) पर चर्चा करेंगे। वैसे तो महादेव शिव शंकर के अनंत रूप हैं। भैरव शिव का ही एक स्वरूप है। वैसे तो भगवान भैरव की साधना करना उतना आसान नहीं होता है। लेकिन काल भैरव अष्टकम पाठ करने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं। आई अब काल भैरव अष्टकम रोजाना पाठ करने से क्या फायदे होते हैं, इस विषय में जान लेते हैं।
Kaal Bhairav Ashtakam Benefits in Hindi:
इस कलयुग में भैरव उन देवों में से एक है जो बहुत ही जल्द प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। अब हम काल भैरव अष्टकम पाठ करने के फायदे के विषय में जानेंगे।
(Kaal bhairav ashtakam benefits) काल भैरव अष्टकम पाठ करने के निम्नलिखित फायदे हैं:
- भैरव का शाब्दिक अर्थ होता है "जो आपके भय को हर ले"। भैरव के साधक हमेशा निर्भय रहते हैं। वैसे व्यक्ति जो भैरव की साधना करते हैं, उन्हें भय छू भी नहीं सकता।
- भैरव की साधना करने से सभी मनोकामनाएं बहुत ही जल्द पूरी होती हैं।
- भैरव की पूजा करने से राहु केतु जैसे ग्रह शांत हो जाते हैं। अतः ग्रह दोष का अगर आपको निवारण करना है तो भी आपको भैरव साधना करना चाहिए।
- भैरव ऐसे देव हैं जिनके स्मरण मात्र से ही आपके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
- भैरव अपने भक्तों पर बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं और मनवांछित फल प्रदान करते हैं।
- यह साधना करना बहुत ही सहज व सरल है। हर दिन बस आपको एक बार काल भैरव अष्टकम का पाठ करना है।
काल भैरव अष्टक ( कालभैरवाष्टकम् ) - Kaal Bhairav Ashtakam Lyrics in Hindi
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥
शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥
॥ फल श्रुति॥
कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥
॥इति कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम् ॥
निष्कर्ष:
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जय काल भैरव ।
ॐ कालभैरवाय नम:।
ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं ॐ।