श्री त्रिपुर भैरवी मंत्र साधना
श्री त्रिपुर भैरवी मंत्र साधना - Sri Tripura Bhairavi |
विनियोग करे :
ॐ अस्य श्री त्रिपुर भैरवी मंत्रस्य दक्षिणामूर्ति ऋषि:
पंक्तिश्छ्न्द: त्रिपुर भैरवी देवता वाग्भवो बीजं शक्ति बीजं शक्ति:
कामराज कीलकं श्रीत्रिपुरभैरवी प्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ।
ऋष्यादि न्यास :
दक्षिणामूर्तये ऋषये नम: शिरसि (सर को स्पर्श करें)
पंक्तिच्छ्न्दे नम: मुखे (मुख को स्पर्श करें)
श्रीत्रिपुरभैरवीदेवतायै नम: ह्रदये (ह्रदय को स्पर्श करें)
वाग्भवबीजाय नम: गुहे (गुप्तांग को स्पर्श करें)
शक्तिबीजशक्तये नम: पादयो: (दोनों पैरों को स्पर्श करें)
कामराजकीलकाय नम: नाभौ (नाभि को स्पर्श करें)
विनियोगाय नम: सर्वांगे (पूरे शरीर को स्पर्श करें)
कर न्यास :
हस्त्रां अंगुष्ठाभ्यां नम: ।
ह्स्त्रीं तर्जनीभ्यां नम: ।
ह्स्त्रूं मध्यमाभ्यां नम: ।
हस्त्रैं अनामिकाभ्यां नम: ।
ह्स्त्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नम: ।
हस्त्र: करतलकरपृष्ठाभ्यां नम: ।
ह्र्दयादि न्यास :
हस्त्रां ह्रदयाय नम: ।
हस्त्रां शिरसे स्वाहा ।
ह्स्त्रूं शिखायै वषट् ।
हस्त्रां कवचाय हुम् ।
ह्स्त्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् ।
हस्त्र: अस्त्राय फट् ।
त्रिपुर भैरवी ध्यान :
उधदभानुसहस्त्रकान्तिमरूणक्षौमां शिरोमालिकां,
रक्तालिप्रपयोधरां जपवटी विद्यामभीतिं परम् ।
हस्ताब्जैर्दधतीं भिनेत्रविलसद्वक्त्रारविन्दश्रियं,
देवी बद्धहिमांशुरत्नस्त्रकुटां वन्दे समन्दस्मिताम् ।।
नित्य मन्त्र जाप के पश्चात् कवच का पाठ करें
जप मन्त्र :
॥ ह सें ह स क रीं ह सें ॥
या
॥ ॐ हसरीं त्रिपुर भैरव्यै नम: ॥
त्रिपुर भैरवी कवच
हस्त्रां मेगशिर: पातु भैरवी भयनाशिनी ।
सकलरीं नेत्रं च हस्त्रांश्चैव ललाटकम् ।।
कुमारी सर्वगात्रे च वाराही उत्तरे तथा ।
पूर्वे च वैष्णवी देवी इंद्राणी मम दक्षिणे ।।
दिग्विदिक्षु च सर्वत्र भैरवी सर्वदाऽवतु ।।